An edition of Bagvan Mahavir evam Jain Darshan (2010)

Bagvan Mahavir evam Jain Darshan

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Bagvan Mahavir evam Jain Darshan
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December 13, 2011 | History
An edition of Bagvan Mahavir evam Jain Darshan (2010)

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Publish Date
Language
Hindi
Pages
304

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Edition Availability
Cover of: Bagvan Mahavir evam Jain Darshan
Bagvan Mahavir evam Jain Darshan
2010, Lok Bharti Prakashan, Mahatma Gandhi Marg, Allahabad, INDIA
in Hindi

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Book Details


Table of Contents

INTRODUCTION
CHAPTER 1 ANTIQUITY OF JAINISM
CHAPTER 2 BHAGWAN MAHAVIR: LIFE
CHAPTER 3 JAIN DHARMA EVAM DARSHAN
CHAPTER 4 JAIN DHARMA EVAM DARSHAN: SOCIAL RELEVANCE
CHAPTER 5 JAIN DHARMA EVAM DARSHAN: PRESENT DAY RELAVANCE
प्रस्तुत पुस्तक पाँच अध्यायों में विभक्त है :
1. भगवान महावीर पूर्व जैन धर्म की परम्परा
2. भगवान महावीर : जीवन वृत्त
3. जैन दर्शन एवं जैन धर्म
4. जैन धर्म एवं दर्शन : प्रत्येक प्राणी के कल्याण का मार्ग तथा सामाजिक प्रासंगिकता
5. जैन धर्म एवं दर्शन की वर्तमान युगीन प्रासंगिकता
पहले अध्याय में श्रमण परम्परा, आर्हत्‌ धर्म, निर्ग्रन्थ धर्म तथा प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव अथवा आदिनाथ, बाईसवें तीर्थंकर नेमिनाथ तथा तेईसवें तीर्थंकर पार्श्वनाथ के ऐतिहासिक संदर्भों की विवेचना प्रस्तुत है। बहुत से इतिहासकारों ने भगवान महावीर को जैन धर्म का संस्थापक माना है। इस अध्याय में इस मान्यता का निराकरण करते हुए प्रतिपादित है कि जैन धर्म की भगवान महावीर के पूर्व जो परम्परा प्राप्त है, उसके वाचक निगंठ धम्म (निर्ग्रन्थ धर्म), आर्हत्‌ धर्म एवं श्रमण परम्परा रहे हैं। पार्र्श्वनाथ के समय तक 'चातुर्याम धर्म' था। भगवान महावीर ने छेदोपस्थानीय चारित्र (पाँच महाव्रत, पाँच समितियाँ, तीन गुप्तियाँ) की व्यवस्था की।
दूसरा अध्याय भगवान महावीर का जीवनवृत्त प्रस्तुत करता है। वर्तमान में जैन भजनों में भगवान महावीर को 'अवतारी' वर्णित किया जा रहा है। इस अध्याय में स्पष्ट किया गया है कि भगवान महावीर का जन्म किसी अवतार का पृथ्वी पर शरीर धारण करना नहीं है। उनका जन्म नारायण का नर शरीर धारण करना नहीं है, नर का ही नारायण हो जाना है। परमात्म शक्ति का आकाश से पृथ्वी पर अवतरण नहीं है। साधना की सिद्धि परमशक्ति का अवतार बनकर जन्म लेने में अथवा साधना के बाद परमात्मा में विलीन हो जाने में नहीं है, बहिरात्मा के अन्तरात्मा की प्रक्रिया से गुजरकर स्वयं परमात्मा हो जाने में है।
भगवान महावीर के जन्मस्थान के सम्बन्ध में लेखक परम्परागत मान्यताओं को स्वीकार नहीं कर सका है। लेखक ने इतिहासज्ञ विद्वानों की इस मान्यता को स्वीकार किया है कि वैशाली जिले में स्थित 'वासु कुंड' (प्राचीन नाम-कुंडपुर) भगवान महावीर का जन्म स्थान है। अनुमोदन के लिए इतिहास सम्मत प्रमाणों, इतिहासज्ञ जैन विद्वानों एवं शोधकों के उद्धरणों तथा प्रामाणिक जैन ग्रन्थों के संदर्भित प्रसंगों का उल्लेख किया गया है। भगवान महावीर के जीवन चरित में अनेक प्रकार की चमत्कारिक एवं अलौकिक घटनाओं के उल्लेख मिलते हैं।
bhagvan mahavir
WD
लेखक की मान्यता है कि इन घटनाओं की प्रामाणिकता, सत्यता, इतिहास-सम्मतता पर तर्क-वितर्क करने की अपेक्षा उनकी जीवन दृष्टि को जीवन में उतारने की आवश्यकता है। उनके जीवन-चरित की प्रासंगिकता प्रज्ञा, ध्यान, संयम एवं तप द्वारा आत्मस्थ होने में है। उनके जीवन-चरित की चरितार्थता अहिंसा आधारित जीवन दर्शन के अनुरूप जीवन यापन करने में है। इसी कारण लेखक ने उनकी साधना का विवरण प्रस्तुत करते समय इस दृष्टि से विचार किया है कि 'वर्धमान' ने किस प्रकार तप एवं साधना के आयामों को नया विस्तार दिया।
इस अध्याय में कुछ परम्परागत मान्यताओं पर पुनर्विचार की संस्तुति की गई है। उदाहरण के लिए जैन विद्वानों में यह मान्यता है कि भगवान महावीर दक्षिण भारत के किसी भू-भाग में नहीं गए। लेखक ने इस प्रसंग में विद्वानों से तमिलनाडु, केरल तथा कर्नाटक में प्राप्त होने वाले शिलालेखों, प्राप्त जैन मूर्तियों, इन राज्यों की पहाड़ियों में स्थित जैन बस्तियों के गहन अध्ययन एवं शोध करने तथा भगवान महावीर के साधना काल के पाँचवें वर्ष में मलय देश के प्रवास के संदर्भ को रेखांकित करते हुए उनके दक्षिण भारत के प्रवास की सम्भावनाओं को तलाशने का आह्वान किया है।
इसी अध्याय में केवल ज्ञानी महावीर की देशना से सम्बन्धित जिन बिन्दुओं पर जिज्ञासाएँ उत्पन्न होती हैं तथा कहीं-कहीं परस्पर विरोध भी प्रतीत होते हैं, उन सभी जिज्ञासाओं का बुद्धिसंगत, युक्तिमूलक एवं तर्कणापरक समाधान प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है।

Edition Notes

Published in
ALLAHABAD, INDIA

ID Numbers

Open Library
OL25125637M
ISBN 10
978-81-8031-080-9, 978-81-8031-080-9

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December 13, 2011 Edited by 117.199.213.39 Edited without comment.
December 12, 2011 Edited by 117.199.209.47 Edited without comment.
December 12, 2011 Created by 117.199.212.69 Added new book.